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Social Causes

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गौशाला का शाब्दिक अर्थ


गौशाला का शाब्दिक अर्थ

गौशाला का शाब्दिक अर्थ गायों के लिए घर है और इसका उद्देश्य बचाव, आश्रय, सुरक्षा, चारा देना है। कमजोर, बीमार, घायल, विकलांग और परित्यक्त बेघर मवेशियों का इलाज और पुनर्वास करना। ये भारत की महान सांस्कृतिक विरासत का ठोस उदाहरण देने वाले संस्थान हैं जानवरों के प्रति, विशेषकर गायों के प्रति भारत की श्रद्धा और स्नेह। गौशालाओं की उत्पत्ति का पता वैदिक काल से लगाया जा सकता है जब सामाजिक रीति-रिवाज और नियमों में घर के लिए गायों और बैलों के संरक्षण और विकास पर बहुत जोर दिया गया कृषि कार्य. वर्तमान में भारत में पांच हजार से अधिक गौशालाएं हैं। उनके घर छह से अधिक हैं हजारों करोड़ रुपये की वार्षिक लागत पर लाखों गायों का रखरखाव किया जाता है। के सबसे बैल की पूजा-बैल पोला त्योहार, महाराष्ट्र गौशाला में अत्यधिक भीड़ और दोषपूर्ण जल निकासी के कारण गौशाला में मवेशियों की मौत। गाय गौशाला के कुप्रबंधन में हत्या और गाय की मौत एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

पहली रोटी गौ माता के लिए पकाएं व खिलाएं।

- प्रत्येक मांगलिक कार्यों में गौ माता को अवश्य शामिल करें।

- गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं।

- बच्चे अगर कहने से बाहर हो तो गौमाता को भोजन उनके हाथ से या हाथ लगवा कर खिलाएं।

- प्रतिदिन,सप्ताह में या महीने में एक बार गौशाला परिवार समेत जाने का नियम बनाएं।

- गर्मियों में गौ माता को पानी अवश्य पिलाएं।

- सर्दियों में गौ माता को गुड़ खिलाएं। गर्मियों में गाय को गुड़ न खिलाएं।

- गौ माता के पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है, इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं।

- परिवार में गौ से प्राप्त पंचगव्य युक्त पदार्थों का उपयोग करें, पंचगव्य के बिना पूजा पाठ हवन सफल नहीं होते।

गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं

- गौ माता को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी देवताओं को भोग लग जाता है।

- गौ माता कि सेवा परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है व सभी तीर्थो के पुण्यों का लाभ मिलता है।

- गौ माता के गोबर से निर्मित शुद्ध धूप-बत्ती का उपयोग करें।

- गौ गोबर के बने उपलों से रोजाना घर दूकान मंदिर परिसरों पर धुप करने से वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

- घर के दरवाजे पर गाय आये तो उसे खाली न लौटाएं।

- गौ माता को कभी पैर न लगाए, गौ माता अन्नपूर्णा देवी कामधेनु है, मनोकामना पूर्ण करने वाली है।

- गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे य गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है।

- जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है।

- गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है और गौ माता के मुत्र में गंगाजी का वास होता है।

- गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है।

- गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है। उस कुबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है। रोजाना सुबह गौ माता की पीठ पर हाथ फेरने से रोगों का नाश होता है। - तन मन धन से जो मनुष्य गौ सेवा करता है वो वैतरणी गौ माता की पूंछ पकड कर पार करता है। उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती और उन्हें गौ लोकधाम में वास मिलता है। - जिस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली में गुड़ को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे गुड़ को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है। - गाय माता आनंदपूर्वक सासें लेती है छोडती है । वहां से नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है जिससे वातावरण शुद्ध होता है। - जो धैर्य पूर्वक धर्म के साथ गौ पूजन करता है उनको शत्रु दोषों से छुटकारा मिलता है। - स्वस्थ गौ माता का गौ मूत्र अर्क को रोजाना दो तोला सेवन करने से सारे रोग मिट जाते हैं। - गौ माता वात्सल्य भरी निगाहों से जिसे भी देखती है उनके ऊपर गौकृपा हो जाती है। - कोई भी शुभ कार्य अटका हुआ हो या प्रयत्न करने पर भी सफल नहीं हो रहा हो तो गौ माता के कान में कहिये रूका हुआ काम बन जायेगा।

खाना खिलाने से पुण्य

खाना खिलाने से पुण्य

1खाना खिलाने से पुण्य – आज भी हमारे हिंदू धर्म में मेहमानों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, इसलिए कहा जाता है कि घर के द्वार पर आए अतिथियों का आदर सत्कार करना चाहिए और उन्हें भोजन कराकर विदा करना चाहिए. इसके अलावा हिंदू धर्म में कई ऐसे काम बताए गए हैं जिन्हें करने से इंसान पुण्य का भागीदार बनता है. महाभारत की नीति के अनुसार इन्हीं कामों में से एक काम है लोगों को भोजन कराना, इसमें भी ऐसे पांच लोग शामिल हैं जिन्हें भोजन अवश्य कराना चाहिए, क्योंकि इन्हें खाना खिलाने से पुण्य मिलता है और साथ भगवान की कृपा भी प्राप्त होती है भी लोग सुबह नहा धोकर सबसे पहले भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं फिर अपने दूसरे कामों में जुट जाते हैं. लेकिन इसके साथ ही भगवान को हर रोज खाने से पहले भोग लगाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि खुद खाना खाने से पहले अगर भगवान को भोग लगाया जाता है तो घर-परिवार में हमेशा भगवान की कृपा बनी रहती है.

2- पितरों को भोजन अर्पित करें हमारे घर परिवार के दिवंगत पूर्वजों यानि पितरों को भी भगवान के बराबर का ही दर्जा दिया गया है. इसलिए पितृ पक्ष के दौरान पितरों के निमित्त भोजन अर्पित करके ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार के सदस्यों पर हमेशा उनकी कृपा बनी रहती है.

3- ब्राह्मणों को कराएं भोजन ब्राह्मणों को भोजन कराना बेहद शुभ और पुण्य का काम माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति नियमित रुप से ब्राह्मणों को भोजन कराता है उसके जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

4- मेहमानों को कराएं भोजन घर में आनेवाले मेहमानों को भगवान का रुप माना जाता है. इसलिए घर में आए हुए मेहमानों का दिल से स्वागत और सत्कार किया जाना चाहिए. घर पर आए हुए मेहमानों को बिना भोजन कराए विदा नहीं करना चाहिए.

5- गरीबों को कराएं भोजन जो लोग भूखे, गरीब और बेसहरा होते हैं उन लोगों को भोजन अवश्य कराना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि गरीब और बेसहारा लोगों को खाना खिलाना मतलब भगवान को भोजन कराना होता है. इसलिए गरीब और असहाय लोगों को भोजन जरूर कराना चाहिए इससे पुण्य मिलता है. बहरहाल शास्त्रों के अनुसार इन लोगों को खाना खिलाने से पुण्य मिलता है और व्यक्ति के जीवन के पाप नष्ट होते हैं. इतना ही नहीं दूसरों को भोजन कराकर मन को भी खुशी मिलती है. इसलिए महाभारत की नीति में बताए गए इन पांच लोगों को नियमित रुप से भोजन अवश्य कराएं.

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