Tirth Yatra ke Niyam
हिंदू धर्म में तीर्थयात्रो का विशेष महत्व है. वेदों और पुराणों में भी तीर्थयात्रा करने का महत्व माना गया है. तीर्थयात्रा का उद्देश्य ईश्वर के करीब रहने की अनुभूति करना और पुण्य प्राप्त करना होता है.जाने के बाद भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है।
क्या आप जानते हैं कि तीर्थयात्रा के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ता है. इन बातों का पालन करने से तीर्थयात्रा का पूर्ण फल हमें प्राप्त होता है. आइए जानते हैं इनके बारे में... में इस धर्म की संस्कृति और परम्पराएं निहित हैं जो निम्र हैं-
तीर्थयात्रा करते समय भूलकर भी झूठ या अपशब्द न बोलें, गलत कार्य न करें. जान लीजिए तीर्थ पर जाने से व्यक्ति के पापकर्म नष्ट होते हैं लेकिन तीर्थयात्रा के दौरान किए गए पापकर्म कभी नष्ट नहीं होते हैं
तीर्थ यात्रा आत्मिक शांति के लिए की जाती है. इसलिए तीर्थ यात्रा करते वक्त सच्चे मन से ईश्वर का गुणगान करना चाहिए. शांति बनाए रखनी चाहिए जोर-जोर से बोलना नहीं चाहिए.
तीर्थ स्थल पर स्नान, दान, जप आदि पुण्य कर्म जरूर करने चाहिए .
और ग्रहों के आधार पर किया जाए।
सदा अपने धन से ही तीर्थयात्रा करनी चाहिए. दूसरों के धन से किए गए तीर्थ के पुण्य का सोहलवां भाग प्राप्त होता है.ि और ग्रहों के आधार पर किया जाए।
देवस्थान पर जब आप परिक्रमा कर रहे हो तो भगवान के सामने कुछ देर रूककर परिक्रमा करनी चाहिए. आधार पर किया जाए।
भगवान का ध्यान करने के बाद ही भोजन करना चाहिए, लेकिन जब आप यात्रा पर हैं तो भगवान के निवेदित किए बिना किसी भी चीज का सेवन न करें.ए।